छुपमछुपाई

रविवार, 24 जुलाई 2011

कन्या भ्रूण हत्या विरोध -----एक दिखावा ...सिर्फ नौटंकी


कन्या भ्रूण हत्या विरोध -----एक दिखावा ...सिर्फ नौटंकी

by Raj Awasthi on Thursday, July 21, 2011 at 1:12am

मै अपने इस लेख के माध्यम से हिन्दुस्तान के कुछ दिखावा परस्त लोगो का ध्यान आकर्षित करना चाहता हू ....हो हल्ला करने वाले उन लोगो से जो अखबार में फोटो छपवाने और टीवी में लाइव शो में आने के लिए हाहाकार मचाये फिरते है के भ्रूण हत्या बंद हो क्यों बंद हो ..क्या कोई बाप अपनी लड़की को जन्म दे पाले पोसे बड़ा करे इस लिए के उसके साथ बलात्कार होगा ,या इस लिए के दहेज न दे के पाने की मजबूरी के बाद अपनी जान से भी प्यारी लड़की की जली हुइ लाश देखने को मिलेगी ,या फिर इस लिए के स्कूल कॉलेज जाते समय चौराहे पर बैठे गुंडे मेरी लड़की को छेड़े,और अगर गुंडों को जवाब दो तो वो उसके मुह पर तेज़ाब फेंके ...क्यों भ्रूण ह्त्या बंद हो ....क्या इस पूरेभारत में एक भी ऐसा नेता ;एक भी ऐसा समाज का ठेके दार ,एक भी ऐसी सरकारी या गैर सरकारी संथा है जिसने इस विषय पर हो हल्ला करने की बजाय एक सच्ची और इमानदार कोशिस की हो नहीं है .मै गारंटी लेता हू और भारत में हर लड़की का बाप ये गारंटी लेने को तैयार होगा के भ्रूण ह्त्या बंद हो जायेगी यहाँ तक के आज के नवजवान युवक और नवुवतियों द्वारा नादानी में की गई गलती के बाद भी भ्रूण हत्या का विचार वो दिल से निकाल देंगे और एक और जिन्द्गगी साँस लेती रहेगी फलेगी फुलेगी यानी के जिन्दा रहेगी कैसे ....हमारे भारत में बड़े बड़े धनाड्यलोग है उन लोगो को चाहिए के हाय हाय भ्रूण ह्त्या करने की बजाय एक ऐसी संथा का निर्माण करे जो पूरे भारत में ये ऐलान कर दे के "यदि आपके घर कन्या जन्म ले तो उसकी जिमेदारी मेरी" सम्बंधित संथा उसकी पुत्री का जन्म से लेकर और पढ़ाई फिर शादी तक सारा खर्च उठाएगी तो क्या पूरी दुनिया से उस संथा को समर्थन नहीं प्राप्त होगा कितनी सहायता राशी उस संस्था के पास आयेगी कोई सोच भी नहीं सकता है फिर भारत का हर बाप इतना दुर्बल तो नहीं है के पूरे भारत की लड़किया आ जायेंगी शादी के लिए लेकिन एक बात तय है के भ्रूण ह्त्या बंद हो जायेगी ...मित्रों ये है एक ईमानदार कोशिस भ्रूण ह्त्या रोकने की अन्यथा दुनिया की कोई सजा ,कोई डर भ्रूण ह्त्या को रोक नहीं सकता है .....ये जोर जोर से टीवी और अखबार पर बलबलाने वाले उस कमजो र और निर्धन बाप से पूछे के "लड़की पैदा हुई है "शब्द जब कानो को सुनाई देता है तो वो दींन हीन बाप सर पकड़ कर धम्म से जमीन पर क्यों बैठ जाता है....है कोई पूछने वाला .

ये बड़े -२ धनाड्य लोग बड़ी -२ डिग्रीयो वाले नेता एवं समाज सेवक कभी ज़रा अपनी A.C. कार,A.C.रूम से बाहर 48 डिग्री के तापमान पर तारकोल की तपती सड़क पर नंगे पैर चल कर मजदूरी करने जाते उस बूढ़े बाप से पूछे जिसके घर में तीन तीन शादी के लायक लड़किया बैठी है मगर वो शादी के लायक दहेज नहीं जोड़ पाता है और आँख में आंसू भरे इस दुनिया को अलविदा कह जाता है और कह जाता है जाते जाते "अगले जनम मोहे बिटिया न दीजो " क्या इतने नादान है ये समाज के ठेकेदार,ये सफेदपोश नेता के जो इतना भी नहीं जानते की यदि हमें समाज रूपी जंगल से बुराई रूपी पेड़ को उखाडना है तो उसकी पत्तियाँ नोचने मात्र से क्या वो पेड़ समाप्त हो जायेगा या की उसकी जड को उखाड़ना होगा ..

1 टिप्पणी:

  1. राज जी, ह्रदय को उद्वेलित करने वाला भावना पूएँ लेख है आपका, शायद इस लेख को पढ़ कर देश के नेताओं को थोड़ी सी शर्म आ जाए..

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मेरी रचना पर विचार व्यक्त करने के लिय आप को अग्रिम धन्यवाद..